अपने आध्यात्मिक वार्षिक वार्षिक यात्रा के अंतर्गत एसोसिएट्स के अधीनस्थों के रूप में जाना जाता है। इसके बावजूद पुलिस-प्रशासन द्वारा होटल में सुरक्षा व्यवस्था को आकर्षक ढंग से पेश नहीं किया जा रहा है…
प्रत्येक वर्ष 15 दिनों के लिए किसी भी तरह से हिमालयी राज्य की यात्रा की जाती है। पूर्वी बद्रीनाथ दर्शन के बाद अधियाच जिले के हाट में स्थित पांडवखोली की पहाड़ी तलहटी पर मौजूद महावतार बाबा की गुफा में जहां उन्होंने गहन ध्यान साधना भी की थी… हम आपको बताते हैं कि गुरु शिष्य वर्ष 2002 में भी पांडवखोली की इस गुफा में साधना की थी, इसके बाद से वे समय-समय पर यहां आए थे…
ऐसा कहा जाता है कि रामदेव की पांडवखोली की पहली यात्रा के रिलीज होने के बाद उनकी फिल्म ‘काला’ को जबरदस्त सफलता मिली थी, जिसके बाद उनकी श्रद्धा स्थान के प्रति और बढ़ गई और यही है कि साल 2019 में भी उन्होंने अपनी फिल्म ‘मंदिर की सफलता’ के लिए महावतार बाबा की गुफा में ध्यान साधना की थी…सरल प्रकृति के समृद्ध आहार ताम-झाम के साथ नहीं बनाए गए हैं और इस दुकान पर भगवान की आस्था है। आस्था है जिस कारण वे बार-बार देवभूमि उत्तराखंड के भ्रमण पर आते रहते हैं।